संपत्ति कर

उत्तर प्रदेश की नगर पंचायत की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने और उन्हें स्वतंत्र बनाने के लिए नगर विकास की धारा-9 के अनुसार 74वां संवैधानिक संशोधन किया गया है। संपत्ति कर के निर्धारण में प्रामाणिकता और पारदर्शिता लाने तथा सभी नागरिकों को स्व-कर निर्धारण प्रणाली उपलब्ध कराने के लिए ये उपाय किए जा रहे हैं।

स्व-कर निर्धारण नागरिकों और पालिका दोनों के पक्ष में है। यह तार्किक और प्रामाणिक मानकों पर आधारित है। यह पक्षपाती नहीं है और पारदर्शी और उचित है। कर निर्धारण स्थल मानचित्र एवं नगर पंचायत में प्रस्तुत विवरण के आधार पर किया जायेगा। इस स्व-कर निर्धारण प्रणाली के तहत, एक व्यक्ति को अपने भवनों के विवरण के आधार पर अपने स्वयं के कर का आकलन करने के लिए अधिकृत किया गया है। सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार नागरिकों के लिए विभिन्न प्रकार के पूर्व-निर्धारित प्रपत्र भी उपलब्ध कराए गए हैं। यदि साइट का नक्शा या विवरण मौजूद/उपलब्ध नहीं है, तो अधिकारियों द्वारा कर निर्धारण किया जाएगा।

इस स्व-कर निर्धारण प्रणाली का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध कराना है:

  • कर का आकलन संपत्ति या भूमि के वर्तमान सर्कल रेट, संपत्ति के आकार और किए गए निर्माण के प्रकार के आधार पर किया जाएगा।
  • कर निर्धारण प्रक्रिया सुनियोजित और सुव्यवस्थित और सुविधाजनक होगी और सभी आधुनिक शहरों में लागू की जाएगी।
  • किसी भी तथ्य को छिपाने या कर के गलत आकलन पर कड़ी कार्रवाई और जुर्माना लगाया जाएगा।